Supreme Court Judgement on Credit Card Defaulters in Hindi (क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला)

Supreme Court Judgement on Credit Card Defaulters in Hindi (क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला)

अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड के बिलों का भुगतान समय पर नहीं करते हैं तो क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता द्वारा आपको डिफाल्टर सूची में डाला जा सकता है। डिफाल्टर सूची में डालने के बाद आपको दूसरी जगह से ऋण मिलना काफी मुश्किल हो जाता है। 


डिफाल्टर सूची में डालने के बाद क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता द्वारा अपनी बकाया राशि की वसूली के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसी के संबंध में उपजी कई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर पर एक फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्रेडिट कार्ड डिफाल्टर पर दिए गए फैसले के बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे। 


क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के साथ-साथ आपको अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करना आवश्यक है। अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड के बिलों का भुगतान 6 महीने तक नहीं करते हैं तो आपको क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता द्वारा डिफाल्टर सूची में डाल दिया जाता है अर्थात अगर आप 6 महीने तक क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान न करने के साथ-साथ न्यूनतम देय राशि का भुगतान भी नहीं करते हैं तो बैंक द्वारा आपको डिफाल्टर सूची में डाल दिया जाता है। 

डिफाल्टर सूची में डाल दिए जाने के बाद आपको ऋण मिलना मुश्किल हो जाता है। अगर आपको ऋण कहीं से मिलता भी है तो आपको अधिक ब्याज दर का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही हो सकता है कि आपको इसके लिए कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़े। 


क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता द्वारा अपने बकाया राशि की वसूली के लिए कुछ ऐसे तरीके भी अपनाए जाते हैं जो क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता को काफी परेशान करते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है ताकि क्रेडिट कार्ड डिफाल्टर को क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता द्वारा परेशान ना किया जाए तथा क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता द्वारा अपने बकाया राशि की वसूली में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित कुछ निश्चित मानदंडों को मानदंडों का पालन किया जाए। 



Supreme Court Judgement on Credit Card Defaulters in Hindi (क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला)


क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निन्मलिखित है-


1. क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता का EMI डिफ़ॉल्ट होने की स्थिति में यह लोन बैंक का एनपीए बन जाता है। अगर ऐसा होता है तो इस स्थिति में ऋण वसूली विभाग क्रेडिट कार्ड डिफाल्टर से संपर्क करना प्रारंभ कर सकता है तथा अपने ऋण बकाया राशि को जितना जल्दी हो सके निपटाने का अनुरोध कर सकता है। 

2. ऋण वसूली एजेंट द्वारा क्रेडिट कार्डधारक से बकाया राशि की वसूली के लिए परेशान नहीं किया जा सकता है। न ही कार्डधारक को ऋण वसूली एजेंट द्वारा ऐसे समय पर कॉल के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है जो उचित ना हो।


3. अगर ऊपर बताई गई परिस्थितियों में उल्लंघन किया जाता है तो कार्डधारक के पास बैंक में शिकायत दर्ज करा सकता है। उसे बैंक में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराने का पूरा अधिकार होगा। 


4. अगर कार्डधारक ऋण वसूली एजेंसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराता है तो बैंक को इस संबंध में जांच शुरू करने की आवश्यकता होगी ताकि इस संबंध में कार्रवाई की जा सके। 

5. अगर कार्डधारक के परिवार में किसी प्रकार की घटना घटित हो गई हो जैसे- किसी परिवारिक सदस्य की मृत्यु या ऐसी कोई घटना, तो कार्डधारक रिकवरी एजेंट से कुछ दिनों के लिए संपर्क न करना करने के लिए कह सकता है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *